शनिवार, 4 सितंबर 2010

चाँद भी पिघल जाए,उनकी सादगी को देखकर..



ना जाने वो दिल मे क्या राज़ छुपाए बैठे हैं
शायद एक खूबसूरत सा अंदाज़ छुपाए बैठे हैं

करीब होते, तो कह देते दिल का हाल सारा
तेरे दीदार की चाहत,अब दिल मे दबाए बैठे हैं

चाँद भी पिघल जाए,उनकी सादगी को देखकर
ये मेरे खुदा तू भी क्या क़ातिल चीज़ बनाए बैठे है 

उन्हे शिकायत है की, हमे प्यार नही है उनसे
कौन समझाए, हम भी क्या रोग लगाए बैठे हैं