शुक्रवार, 18 मार्च 2011


उनके दामन मे खुशी, और हमारे दिल मे गम है
खैर कोई बात नही,
आँख उसकी भी नम है और हमारी भी नम है

सोचते हैं कहे तो कैसे कहे ये हाले दिल
कुछ गुमा है खुद पर, कुछ आरज़ू हमारी बेदम है

कोशिशे बहुत की हमने, ना दिल लगाए पत्थर से
पर क्या करे क़ातिलों सा अंदाज़-ए-सनम है

खुद को जला के घर उनका रोशन कर दे"अखिल"
मिट जाए किसी के लिए, ये क्या मोहब्बत से कम है