बुधवार, 29 दिसंबर 2010

कभी किसी को यादों से मिटाकर देखिए


कभी किसी से नज़र मिलाकर देखिए,
हो सके तो एक दोस्त बनाकर देखिए

रुक जाएगा ज़िंदगी का कलम चलते चलते
कभी कोई खूबसूरत ग़ज़ल बनाकर देखिए

महफ़िलो मे तो लोग हँस ही लेते हैं
तन्हाई मे भी कभी मुस्कुराकर देखिए

अजीब सा सुकून है शब्दो के भंवर मे
अहसासो को पन्नो पे सजाकर  देखिए

रिश्तों को तोड़ना तो आसान है "अखिल"
कभी किसी को यादों से मिटाकर देखिए

शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

अब आसमान की बात कर.......


ज़मीन को छोड़ , अब आसमान की बात कर
मुट्ठी भर ही सही, पर खुशी की तलाश कर

ये जिंदगी भी क्या है, बस पानी का बुलबुला है
जब भी किसी से बात कर, प्यार की बात कर

जब दर्द नही होगा तो, खुशी का मज़ा क्या होगा
हार से कभी ना मन को इस तरह उदास कर

तू अकेला नही" अखिल "इस दुनियाँ की भीड़ मे
सोने के पिंजरे मे अब आज़ादी की तलाश कर