सोमवार, 31 मई 2010

पलभर मे ईमान बदल जाते है. ...............


ये रिश्ते भी क्या है, जो इंसान बदल जाते है,
कभी टूटते है,तो कभी पहचान बदल जाते है

दोस्तो से दोस्ती भी क्या खूब निभाई थी हमने,
पर कुछ लोगो के पलभर मे ईमान बदल जाते है.

लोग कहते है, किसी से वफ़ा ना कर सके हम,
चाहा तो बहुत,पर कुछ हालत बदल जाते है.

शायद यही फलसफा है इस दुनिया का 'अखिल'
तभी लोगो के रोते हुए ज़ज्बात बदल जाते है

AKHILESH GUPTA, BHIKANGAON, IITR

3 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

achcha likha hai likhte raho bhai

bachlash ने कहा…

jabardast especially last one.lagta hai bahut gahri chot lagi hai dillagi me............

Akhilesh ने कहा…

thank you very much aap ne thik kaha chot bahut gahri hi thi.............