चला था जिस रास्ते की ओर ,वो सफ़र तो कांटो भरा ताज निकला,
जुड़े जितने हमराह मुझसे , हर दिल मे ज़हर-ए- अल्फ़ाज़ निकला,
कैसे लोगो को बताऊं किन मुश्किलो से तुझको पाया है
जब सुना आपने बारे में, शब्द 'घमंडी' धोखेबाज निकला,
ये तो सच है दिल का थोड़ा बुरा तो मे भी हूँ लेकिन,
झाँका मेरे दिल मे किसी ने भी तो, मंज़र कुछ ख़ास निकला,
था अथाह समुंदर मेरे सामने जिंदगी का लेकिन "अखिल",
उतरना चाहा जब भी साहिल में, तूफ़ानो का काफिला साथ निकला.
3 टिप्पणियाँ:
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