ज़िंदगी के पन्नो मे लिखा है सब कुछ मिट जाने के लिए,
फिर भी सोचता है ये नादान दिल कुछ कर जाने के लिए
माना पंख है छोटे बहुत पर हौसला तो बुलंद है
पड़ेगा छोटा ये आसमान एक दिन मेरी परवाज़ समाने के लिए
जाना कहाँ है और कहाँ पहुँच गया है तू "अखिल" इस जद्दोजहद मे
काफ़ी नही है चंद सिक्के, दो पल की खुशी जुटाने के लिए
पूछता है रह रह कर ये पलको का भीगा हुआ किनारा
कब आएगा वो दिन, जब कोई करेगा कोशिश तुझे हँसाने के लिए
परवाज़ = उड़ान
1 टिप्पणियाँ:
Nice lines....
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