शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

कुछ छुपा था दिल मे, आखों ने जता दिया हमे


जिंदगी तेरी उलझनो ने कितना सुलझा दिया हमे,
ना हमेशा दुख हैं, ना सुख कभी, बता दिया हमे

खामोश लब यूँ ना थे हमारे, यूँ तुम्हारे सामने
कुछ छुपा था दिल मे, आखों ने जता दिया हमे

मैं ही था, जो ग़ज़ल लिखता रहा, हर फ़लसफ़े पे
कभी दी अधरो पर मुस्कान, कभी सता दिया हमे

दर-बदर भटकता रहा, खुशी की तलाश मे "अखिल"
कौन है वो अपना, जिसने तेरा पता दिया हमे
                                - अखिलेश गुप्ता

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