बुधवार, 2 जून 2010

तेरे छूने से पिघल जाऊँगा .............


यूँ ना मारो ठोकर मुझे
टूट कर बिखर जाऊँगा

अश्क हूँ तेरी आँखो का,
तेरी पलको पर ठहर जाऊँगा

कहाँ जुदा है रास्ते अपने
तुझसे दूर किधर जाऊँगा

मोम हूँ संग दिल नही
तेरे छूने से पिघल जाऊँगा

1 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

Wow