आँखो मे आँसू और दिल मे ज़हर रखते हैं
मेरे चाहने वाले भी क्या खूब हुनर रखते हैं
कह देते दिल का हाल,तो बात ही क्या थी
ना जाने क्यों ये अपनी बातों मे भंवर रखते हैं
जीते जी ना देखा मुड़ के कभी हमे प्यार से
अब क्यों वो मेरे ज़नाज़े पे नज़र रखते हैं
थम जाती है आज भी ये पगली हवा "अखिल"
जब भी वो मेरे ग़रीबखाने पे कदम रखते हैं
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