मंगलवार, 15 जून 2010

कितने भी गम हो जिंदगी मे, मुस्कुराना सीखो. ..


छूना हो अगर आंसमा तो, सर उठना सीखो,
कितने भी गम हो जिंदगी मे, मुस्कुराना सीखो.

दिल जलाना तो अब, फ़ितरत है लोगो की ,
तुम किसी की बातो मे, ना घर जलाना  सीखो.

क्यो फ़िक्र करते हो, तुमने कुछ नही पाया"अखिल"
अपनी मजबूरियो को ताक़त बनाना सीखो.

तकदीर तो बेवफा है, तुम्हे ये कहा ले जाएगी,
अब पत्थरो से अपनी बात मनवाना सीखो.

2 टिप्पणियाँ:

Unknown ने कहा…

गम की दुनियां में मुस्कराती जिन्दगी का संन्देश देती बेहतरीन गजल...शुभकामनाएं।

बेनामी ने कहा…

sar uthana hoga..typo error i guess.