बुधवार, 16 जून 2010

सिहर जाओगे.....


मेरा नाम मिटाकर, तुम क्या पाओगे
आएगी जब याद ,मेरी सिहर जाओगे.

तय किया है लंबा सफ़र हम, दोनो ने
अब अकेले रस्तो पर, कहा जाओगे


दिखेगा खून, मेहन्दी भरे हाथो मे
जब घर किसी और का, बसाओगे


मैं क्या हूँ बस, मोम का पुतला हूँ
तुम पत्थर होकर भी, पिघल जाओगे

1 टिप्पणियाँ:

Unknown ने कहा…

Akhilesh bhai jabab nahi hai aapka. Lagta hai jaise aapki shayri sidhe ruh me pravesh kar rahi hai. Waki lajbab hai. Keep continue