चले गये मुसाफिर मंज़िलों की और,
पर आज भी कदमो के निशान बाकी है
अभी मत कहो हम प्यार के काबिल हैं,
मोहब्बत मे कुछ और इल्ज़ाम बाकी है
सजने दो महफ़िल को कुछ और देर यारो,
अभी उनके नाम के कुछ जाम बाकी है
क्यों आते हो चेहरे बदल -बदल कर,
अभी इस दिल मे आपकी कुछ पहचान बाकी है
कैसे लिखना छोड़ दूं दिल की बाते”अखिल”,
अभी मेरे चाहने वालो मे कुछ नाम बाकी है
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