मंगलवार, 1 जून 2010

दिल से उठता ये धुँआ धुँआ सा क्यो है.........


बेवफ़ाई है बुरी इस दुनिया मे, तो वफ़ा सज़ा क्यो है
इश्क़ अगर है एक खता, तो इसमे इतना मज़ा क्यो है

वो खुदा नही फिर भी क्यो करता हूँ इबादत उसकी
कुछ तो बात है उसमे, यूँ ही सारा शहर फिदा क्यो है

भिगो रखा है हमने खुद को आँसुओ की बारिश मे
फिर भी अक्सर दिल से उठता ये धुँआ धुँआ सा क्यो है

पूछते है लोग हमसे क्यो छोड़ दी आशिकी हमने
कोई बताए हमे इस दुनिया मे, हर दिल बेवफा क्यो है

AKHILESH GUPTA , BHIKANGAON , IITR

0 टिप्पणियाँ: