कभी किसी से नज़र मिलाकर देखिए,
हो सके तो एक दोस्त बनाकर देखिए
रुक जाएगा ज़िंदगी का कलम चलते चलते
कभी कोई खूबसूरत ग़ज़ल बनाकर देखिए
महफ़िलो मे तो लोग हँस ही लेते हैं
तन्हाई मे भी कभी मुस्कुराकर देखिए
अजीब सा सुकून है शब्दो के भंवर मे
अहसासो को पन्नो पे सजाकर देखिए
रिश्तों को तोड़ना तो आसान है "अखिल"
कभी किसी को यादों से मिटाकर देखिए
4 टिप्पणियाँ:
बहुत ही सुन्दर भाव संयोजन।
खूबसूरत अशआरों से सजी ग़ज़ल, keep writing
Lazawab Gazal hai.
"Kabhi kisi ko yaadon se mita ke dekhiye"
kya bat he dear puri hydrology cycle bana diye,,,,,,,,,,,,,......
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