शनिवार, 4 सितंबर 2010

चाँद भी पिघल जाए,उनकी सादगी को देखकर..



ना जाने वो दिल मे क्या राज़ छुपाए बैठे हैं
शायद एक खूबसूरत सा अंदाज़ छुपाए बैठे हैं

करीब होते, तो कह देते दिल का हाल सारा
तेरे दीदार की चाहत,अब दिल मे दबाए बैठे हैं

चाँद भी पिघल जाए,उनकी सादगी को देखकर
ये मेरे खुदा तू भी क्या क़ातिल चीज़ बनाए बैठे है 

उन्हे शिकायत है की, हमे प्यार नही है उनसे
कौन समझाए, हम भी क्या रोग लगाए बैठे हैं

4 टिप्पणियाँ:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

खूबसूरती से लिखे जज़्बात ..

Asha Lata Saxena ने कहा…

'ना जाने वो दिल में-------अदाएं छुपाए बैठे है '
बहुत सुंदर भाव
बधाई

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

Bahoot hi sunder nazm

RAJNISH CHOUDHARY ने कहा…

really touching line.........great work